भावना और
संवेदनशीलता हर एक इंसान में होती है | किसी में ज़्यादा तो किसी में कम | यह इंसान का स्व:धर्म है इसीलिए इंसानियत भी अभी तक बची हुयी है | चाहे हम कितना भी कठोर बनने की कौशिश क्यूँ न
करे जीवन में कभी न कभी हम सब कमजोर पड़ जाते है | कब कौन किस मोड़ पर आकर भावुक हो जाए यह कह पाना मुश्किल है |
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