"जो हमारा
नहीं है और जो हमारा कभी हो भी नहीं सकता ! हम इंसान कभी कभी उसके ऊपर बहुत आसानी
से हक़ जमा लेते हैं, और फिर खोने के डर से पागलों जैसे हरकत करते है
।।"
सोमवार, 23 जून 2014
शुक्रवार, 6 जून 2014
हमारे मन में
किसी व्यक्ति के लिए जो ओहदा, सम्मान और प्यार
हैं हमेशा सामने वाले के मन में भी हमारे लिए वोही ओहदा, सम्मान और प्यार हो यह ज़रूरी नहीं है । हर एक इन्सान की
संवेदनाएं, भावनाएं और अनुभव अलग अलग
होती है इसीलिए एहसास भी अलग अलग होता है । फिर दुःख किस बात का हमें बस अपने हक़
का कार्य करना है और एकदिन इस दुनिया से चले जाना है ।।
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