कई बार हम बहुत
कौशिश करते है बिगड़े हालत को सुधारने की लेकिन हमारा चित्र अगर किसी के आगे पहले
से ही ख़राब बन चुकी है तो उसे मिटाना अक्सर हर तरह की कौशिशों के बाद भी ज़्यादातर
नामुमकिन ही होता है ।
जब कभी हम क़रीब
से दूसरों कि ज़िन्दगी में गहराईयों से झाँक पाते हैं, तो पता चलता है
कहीं थोडा कम तो कहीं थोडा ज्यादा .... सभी के पास अपने
हिस्से की परेशानियाँ चुनौतियां बनके खड़ी है ।।
हर एक छोटे-बड़े
काम के लिए फ़ैमिली का सपोर्ट मिलना बहुत ज़रूरी होता है। हर एक बच्चे को अपने
फ़ैमिली से ही पहली आस होती है। अगर बच्चा सही है और सही काम कर रहा हो तो उन्हें
हमेशा उत्साहित करना चाहिए। वक़्त के साथ साथ परिवारों को अपनी परंपरागत चली आ रही
कुछ रुढ़िवादी सोच को ज़रूर बदलना चाहिए, ताकि उनके बच्चे आगे बढ़ें, अपनी ख़्वाहिशों
को पूरी करें और वो अपने जीवन को जियें ताकि हजारों में एक बनके उभरें ।।
आज आधुनिकता की
दौड़ में फंसे संवेदनहीन परिवारों में दादा-दादी, नाना-नानी या तो आप्रासंगिक हो गये हैं, या फिर वृद्धाश्रमों में भेज दिये गये हैं। अगर
कुछ सौभाग्यशाली बच गये हैं तो अपने घरों के एक कोने में सिमट कर रह गये हैं।
क्योंकि उन्हें अपनी इज्ज़त और सर के ऊपर छत की फ़िक्र है। कहीं जीवन के इस अंतिम
दौड़ में यह सहारा भी उनसे न छीन जाए ।।
अगर हम दूसरे से अपेक्षा
रखते हैं कि वो हमारी बातों का क़द्र करें और सुनें, तो पहले हमें दूसरों की
बातों का क़द्र करना चाहिए और सुनना चाहिए और साथ ही ये कला सीखनी चाहिए ।।
शनिवार, 16 अगस्त 2014
एक सामाजिक
कार्यकर्ता के लिए इंसानियत ज्यादा अहमियत रखती है, ना की किसी एक जाति या समुदाय को देख कर मदद करना !!
शुक्रवार, 8 अगस्त 2014
कुछ Ultra
Modern लोग भगवान् को नहीं मानते
हैं लेकिन Style से बात बात पर
"Oh My God" ज़रूर कहते हैं ।।
अगर पहनावे से ही
किसी इंसान की देशभक्ति जाग उठती तो हमारे देश के नेता लोग इतने चोर और निकम्मे न
होते । खाकी को ख़ाक में और् खादी को खाद में मिला दिया है इन लोगो ने ।।
सच बोलने में या
सुनने में कोई दिक्कत नहीं है बस हज़म करने में दिक्कत होती है ।
सोमवार, 21 जुलाई 2014
कभी कभी इंसान बस मानसिक शांति के लिए हक़ीक़त से कोशों दूर चला
जाता है, और अपने मन में एक काल्पनिक दुनिया बना लेता है ।।
मुश्किलों में भाग जाते है सभी ख्वाहिशों को देख कर डर जाते है सभी । उठती लहरों को किनारे की ज़रुरत नहीं होती और हौसलों के आगे कोई दीवार नहीं होती ।
कमाया 'चार आना' और घमंड 'हज़ार रूपए' का ।येही 'घमंड' किसी भी इंसान को भविष्य में ले डूबता है ।।
किसी सच का साथ देने में अगर हम क्षण प्रतिक्षण अनजाने आतंक से
इतना डरेंगे तो रात को नींद कैसे आएगी !! ज़माने पर नहीं खुद पर भरोसा करना सीखिए
।। आत्म -विश्वास सबसे बड़ा मित्र है ।।
बुधवार, 2 जुलाई 2014
उन्हें देखना हमें पसंद है लेकिन हम तो उन्हें पसंद ही नहीं ।।
''अपनी इज्ज़त अपने हाथ'',
ऐसी
एक ही गलती क्यूँ बार बार दोहरानी जिससे हमेशा अपनी इज्ज़त का तमाशा बनता रहे ।।
इंसान को 'कुछ पसंद' आने की कोई ना कोई 'ख़ास वजह' तो होती ही है नहीं तो ऐसे ही कुछ 'पसंद' नहीं आती किसी को ।।
समझौता (compromise)
अपने अपने परिवार या फिर रिश्ते को बिखरने से
बचाने के लिए किया जाय, तो ठीक है । न की
किसी की चापलूसी या नाज़ायज़ ज़िद्द को पूरा करने के लिए । चाहे वह कर्मक्षेत्र की
किसी भी मैदान में क्यूँ न हो ।
सोमवार, 23 जून 2014
"जो हमारा
नहीं है और जो हमारा कभी हो भी नहीं सकता ! हम इंसान कभी कभी उसके ऊपर बहुत आसानी
से हक़ जमा लेते हैं, और फिर खोने के डर से पागलों जैसे हरकत करते है
।।"
शुक्रवार, 6 जून 2014
एकबार सोचिएगा
हमारी सारी देशभक्ति मूलक नीतियाँ अगर व्यक्ति देख कर बदल जाती है तो इतना जान
लीजिये फिर हम व्यक्तिवादी है न की राष्ट्रवादी ॥
हमारे मन में
किसी व्यक्ति के लिए जो ओहदा, सम्मान और प्यार
हैं हमेशा सामने वाले के मन में भी हमारे लिए वोही ओहदा, सम्मान और प्यार हो यह ज़रूरी नहीं है । हर एक इन्सान की
संवेदनाएं, भावनाएं और अनुभव अलग अलग
होती है इसीलिए एहसास भी अलग अलग होता है । फिर दुःख किस बात का हमें बस अपने हक़
का कार्य करना है और एकदिन इस दुनिया से चले जाना है ।।
गुरुवार, 29 मई 2014
कोई व्यक्ति
राष्ट्र से बढ़ कर नहीं हो सकता।
हर एक रिश्ते में
मनमुटाव और वाद विवाद होता है । कई या हर चीजों पर एक दूजे का मत और सोच अलग हो
सकता है । लड़ाई भी हो सकती है, आखिर हम सब इंसान
हैं । इसका अर्थ यह नहीं होता है कि रिश्ते में प्यार नहीं बचा या फिर रिश्ता टूट
गया !
मंगलवार, 20 मई 2014
इंसान जब बहुत
खुश होता है तब भी कुछ नहीं बोल पाता और जब हद से ज्यादा दुखी होता है तब भी कुछ
नहीं बोल पाता ।। दोनों परिस्थिति में इंसान बस मूक दर्शक मात्र ही बन कर रह जाता
है ।।
रविवार, 18 मई 2014
अगर आप जीत कर भी
असभ्य है तो तो हार कर भी मुस्कुराने वाला हार कर भी न जाने क्या क्या जीत लेता है
....... विजेता बनिए विनम्र रहिये जिंदगी में न जाने कितनी कामयाबियां मिलेंगी |
बुधवार, 7 मई 2014
अपनी स्वतन्त्रता
बनाए रखिए और आज़ादी का जज्बा दिल पर जलाए रखिए |
सच्चा ज्ञानी
व्यक्ति अपने ज्ञान की सीमा जनता है | अल्पज्ञ अपने आपको सर्वज्ञानी समझ कर अहंकारी हो जाता है |
'रेप' जैसा घृणित अपराध करने वाला कोई भी व्यक्ति
नाबालिग नहीं हो सकता न जाने कितने मानवता के अपराधी कानून की इस कमी का लाभ उठा
के बच जाते है भारत सरकार को रेप जैसे अपराधों में से अपराधी के नाबालिग होने जैसी
'सुविधा' को हटा देना चाहिए साथ ही ऐसे संज्ञेय अपराध
करने वालों को मिलने वाली अन्य सहूलियतें भी समाप्त होनी चाहिए .....!!
माना की देश में
गरीबों की संख्या ज़्यादा है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं होता है कि इंसान इंसान को
ही बेच दे ! कितने गरीब माँ बाप होते है जिनके बेटे या बेटी को शहर में काम का
हवाला दे कर लाया जाता है और वे लोग फिर कभी भी अपने घर लौट कर नहीं जाते |
इस मानव तस्करी (Human trafficking) के ऊपर सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए |
बुधवार, 16 अप्रैल 2014
संवेदनशील इंसान
कभी कभी छोटी छोटी बातों को बहुत ज्यादा सोच कर अपनी सारी ख़ुशी को दफ़न कर देता है |
झूठ बोल कर हम
कुछ वक़्त के लिए दूसरे को धोखा दे सकते हैं, लेकिन ख़ुद को नहीं | किसी की सहानुभूति पाने के लिए भी हमें एक दायरे में रह कर
ही झूठ बोलना चाहिए, ताकि बाद में
माफ़ी मिल जाए | ना की सामने वाले
को बेवकूफ समझ कर कुछ भी अनाप-सनाप बकते रहें |
बुधवार, 9 अप्रैल 2014
आप जो साथ आये
नहीं तो यूही गुज़ार ली ज़िंदगी,
मेरी तो ...
सब्र की सीमाएं
भी असीम है बस आपकी प्रतीक्षा में | - लिली कर्मकार
मंगलवार, 18 मार्च 2014
जब परिस्थियाँ
हमारी विपरीत होती हैं, तब हम अपनी बात
किसी को भी नहीं समझा सकते l उस वक़्त सबसे
अच्छा उपाय है 'निःशब्द' हो जाना l
हमारे व्यवहार को
शुद्ध रखने के लिए दो उपाय हैं --- एक तो 'धीरज' और दूसरा 'प्रेम' l
जैसे मरे हुए
मनुष्य से कोई इर्ष्या नहीं करता हैं , ऐसे ही जीते हुए से भी नहीं करनी चाहिये ; क्योंकि उस मनुष्य को और इर्ष्या करने वाले को एकदिन एक-सा
ही मरना हैं |
हम किसी के जीवन में
अनजाने ही बोझ बन जाते हैं | कभी कभी यह सामने वाले की महानता होती है कि वो हमारे
सम्मान केखातिर चुप रहते हैं, और जब हमें इस बातका एहसास होता है तब वहां से हमें
निकालजाना चाहिए और उसे शांति से जीने देना चाहिए |
गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014
जब कोई भावनाओं
को ना समझे, उनके सामने हम
अपने भावनाओं को दबाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं कर सकते | लड़ कर जंग जीत सकते हैं हम परन्तु किसी का मन नहीं जीत सकते
|
किसी इंसान के सामने अपनी Strong Image बनाने के लिए Desperately कुछ भी कह देना बहुत आसान होता है | लेकिन कह हुये शब्द को कार्य क्षेत्र में वास्तविक रूप देना बहुत मुश्किल होता है |
'जीने दो' ये शब्द अपने आप में ही बहुत कुछ कहते हैं |
कोई इंसान अगर बार-बार किसी इंसान से कहे 'जीने दो' , तो यह समझने वाली
बात है कि वो इंसान सामनेवाले इंसान की हरकतों से कितने दर्द में है |
हर चीज़ को बनने में वक़्त लगता है तोड़ने में तो 1 Second ही
काफी है | और एकबार कोई चीज़ टूट जाती है तो जोड़ना मुश्किल है
| इसलिए हर एक चीज़ और हर एक रिश्ते का ध्यान रखना ज़रूरी है |
इज्ज़त पाने के
लिए पहले इज्ज़त देना पड़ता है | यह बात छोटे-बड़े
सभी के लिए एक ही समान मायने रखती है | बड़े, बच्चों के प्रति इतना
सख्त रवैया अख्तियार न करें, कि बच्चों को
अभिभावक के आगे डर के मारे छोटी-छोटी बातों को ले कर झूठ बोलना पड़े | और बच्चे कोई ऐसा काम न करें कि हमेशा उन्हें
बड़ों के सामने झूठ बोलना पड़े | जिससे की बड़ों
का भरोसा टूटे या बड़ों के भरोसे को ठेस पहुंचे। हर परिस्थिति में अपने आपको सहज
बनाए रखना ही सबसे बड़ी कला है |
कुछ दर्द ऐसे
होते है जो जीवन भर के साथी बन जाते है वो चाहे शारीरिक हो या मानसिक | उन दर्दों को हम जितना सोचते है उतना ही ज़्यादा
महसूस होते है | इसलिए ऐसी चीजों
को ज़्यादा न तो सोचना है और न तो महसूस करने का मौका देना चाहिए | बस जीवन को जीना है दर्द को भुला कर, क्योंकि हमारे सामने बहुत सारी अच्छी चीज़ें
होती है महसूस करने के लिए, लेकिन दर्द में
हम इतना डूब जाते है की अच्छी चीजों को हम महसूस ही नहीं कर पाते | जीवन को जीने के लिए सही मायने में हमे
सकारात्मक होना बहुत ज़रूरी है |
प्यार को अगर हम
दिमाग से सोचेंगे तो सही रूप में समझ नहीं पाएंगे | कहीं-न-कहीं हमें सबकुछ गलत नज़र आएगा और जहाँ प्यार से
ज़्यादा दिमाग चलता है वहाँ सच्चा प्यार नहीं हो सकता | लेकिन आज के जमाने में दिमाग चलना भी ज़रूरी हैं क्योंकि
परिवेश और सोच अब बहुत ज़्यादा भौतिकवादी हो गया है तो हमें कहीं आगे चल कर धोखा ना
मिल जाए, इसका भी खयाल रखना पड़ता
है | आज इन सारे कारणों के
चलते ज़्यादातर लोग अपने रिश्ते को सही ढंग से जी ही नहीं पाते है और हमेशा अपने आप
से और सामनेवाले से कहीं-न-कहीं असंतुष्ट रहते है |