गुरुवार, 16 जनवरी 2014

भोजन

भोजन पेट की संतुष्टि से ज़्यादा मन की संतुष्टि से करना चाहिए | 

सोमवार, 13 जनवरी 2014

सकारात्मक होना बहुत ज़रूरी है

कुछ दर्द ऐसे होते है जो जीवन भर के साथी बन जाते है वो चाहे शारीरिक हो या मानसिक | उन दर्दों को हम जितना सोचते है उतना ही ज़्यादा महसूस होते है | इसलिए ऐसी चीजों को ज़्यादा न तो सोचना है और न तो महसूस करने का मौका देना चाहिए | बस जीवन को जीना है दर्द को भुला कर, क्योंकि हमारे सामने बहुत सारी अच्छी चीज़ें होती है महसूस करने के लिए, लेकिन दर्द में हम इतना डूब जाते है की अच्छी चीजों को हम महसूस ही नहीं कर पाते | जीवन को जीने के लिए सही मायने में हमे सकारात्मक होना बहुत ज़रूरी है |

रविवार, 5 जनवरी 2014

संतुष्टि

"कभी कभी अपनों को संतुष्ट करके हमें अपार संतुष्टि मिलती है |"

असंतुष्ट

प्यार को अगर हम दिमाग से सोचेंगे तो सही रूप में समझ नहीं पाएंगे | कहीं-न-कहीं हमें सबकुछ गलत नज़र आएगा और जहाँ प्यार से ज़्यादा दिमाग चलता है वहाँ सच्चा प्यार नहीं हो सकता | लेकिन आज के जमाने में दिमाग चलना भी ज़रूरी हैं क्योंकि परिवेश और सोच अब बहुत ज़्यादा भौतिकवादी हो गया है तो हमें कहीं आगे चल कर धोखा ना मिल जाए, इसका भी खयाल रखना पड़ता है | आज इन सारे कारणों के चलते ज़्यादातर लोग अपने रिश्ते को सही ढंग से जी ही नहीं पाते है और हमेशा अपने आप से और सामनेवाले से कहीं-न-कहीं असंतुष्ट रहते है |