मंगलवार, 18 मार्च 2014

जब परिस्थियाँ हमारी विपरीत होती हैं, तब हम अपनी बात किसी को भी नहीं समझा सकते l उस वक़्त सबसे अच्छा उपाय है 'निःशब्द' हो जाना l
हमारे व्यवहार को शुद्ध रखने के लिए दो उपाय हैं --- एक तो 'धीरज' और दूसरा 'प्रेम' l
जैसे मरे हुए मनुष्य से कोई इर्ष्या नहीं करता हैं , ऐसे ही जीते हुए से भी नहीं करनी चाहिये ; क्योंकि उस मनुष्य को और इर्ष्या करने वाले को एकदिन एक-सा ही मरना हैं |
मन से स्वच्छ और दिमाग से स्पष्ट रहना है हमे |

शुक्रवार, 7 मार्च 2014

बोझ

हम किसी के जीवन में अनजाने ही बोझ बन जाते हैं | कभी कभी यह सामने वाले की महानता होती है कि वो हमारे सम्मान केखातिर चुप रहते हैं, और जब हमें इस बातका एहसास होता है तब वहां से हमें निकालजाना चाहिए और उसे शांति से जीने देना चाहिए |