सोमवार, 21 जुलाई 2014

कभी कभी इंसान बस मानसिक शांति के लिए हक़ीक़त से कोशों दूर चला जाता है, और अपने मन में एक काल्पनिक दुनिया बना लेता है ।।
मुश्किलों में भाग जाते है सभी 
ख्वाहिशों को देख कर डर जाते है सभी ।
उठती लहरों को किनारे की ज़रुरत नहीं होती 
और हौसलों के आगे कोई दीवार नहीं होती ।
कमाया 'चार आना' और घमंड 'हज़ार रूपए' का । येही 'घमंड' किसी भी इंसान को भविष्य में ले डूबता है ।।
किसी सच का साथ देने में अगर हम क्षण प्रतिक्षण अनजाने आतंक से इतना डरेंगे तो रात को नींद कैसे आएगी !! ज़माने पर नहीं खुद पर भरोसा करना सीखिए ।। आत्म -विश्वास सबसे बड़ा मित्र है ।।

बुधवार, 2 जुलाई 2014

उन्हें देखना हमें पसंद है 
लेकिन हम तो उन्हें पसंद ही नहीं ।।
''अपनी इज्ज़त अपने हाथ'', ऐसी एक ही गलती क्यूँ बार बार दोहरानी जिससे हमेशा अपनी इज्ज़त का तमाशा बनता रहे ।।
इंसान को 'कुछ पसंद' आने की कोई ना कोई 'ख़ास वजह' तो होती ही है नहीं तो ऐसे ही कुछ 'पसंद' नहीं आती किसी को ।। 
समझौता (compromise) अपने अपने परिवार या फिर रिश्ते को बिखरने से बचाने के लिए किया जाय, तो ठीक है । न की किसी की चापलूसी या नाज़ायज़ ज़िद्द को पूरा करने के लिए । चाहे वह कर्मक्षेत्र की किसी भी मैदान में क्यूँ न हो ।