रविवार, 5 अप्रैल 2015

इसे आधुनिक बाल मज़दूरी ही कहेंगे जहाँ बच्चों के स्कूल बैग इतने भारी होते है कि मानो बच्चा स्कूल नहीं मजदूरी करने जा रहा है। कहीं बच्चे बड़े बड़े बिल्डिंग के तले मज़दूरी करते हुए दिख जायेगा तो कहीं किताबों और भविष्य की आमदानी के तले जूझते हुए।।
'अभिव्यक्ति की आज़ादी' की समझ अच्छे खासे समझदारों को नहीं है ।।
सिगरेट के धुएं में डूबा दी ये ज़िन्दगी और एकदिन ज़िन्दगी ही धुँआ हो कर उड़ गयी ।।

शनिवार, 4 अप्रैल 2015

ज़माने में चलने के लिए हर किसी को पॉजिटिव तो होना पड़ेगा। हर चीज में बुराई ढूंढने वाले लोग दुनिया से जल्द ही कट जाते है और धीरे धीरे उनको कोई याद भी नहीं करता ।।