मंगलवार, 26 नवंबर 2013

लिहाज़

अगर सामने वाला इंसान हमे पसंद ना हो तो उसकी हर एक छोटी छोटी बातों को भी हम बहुत बड़ा मुद्दा बनाते है | जबकि कई बातें तो ऐसी होती है जो पकड़ने लायक ही नहीं होती है और साथ ही जिसके विरोध करने का कोई अर्थ भी नहीं निकलता फिर भी हम अनायास विरोध करते है | और इसी में चक्कर अक्सर बड़े अपना बडप्पन भूल जाते है और छोटे अपना लिहाज़ |

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