रविवार, 5 जनवरी 2014

असंतुष्ट

प्यार को अगर हम दिमाग से सोचेंगे तो सही रूप में समझ नहीं पाएंगे | कहीं-न-कहीं हमें सबकुछ गलत नज़र आएगा और जहाँ प्यार से ज़्यादा दिमाग चलता है वहाँ सच्चा प्यार नहीं हो सकता | लेकिन आज के जमाने में दिमाग चलना भी ज़रूरी हैं क्योंकि परिवेश और सोच अब बहुत ज़्यादा भौतिकवादी हो गया है तो हमें कहीं आगे चल कर धोखा ना मिल जाए, इसका भी खयाल रखना पड़ता है | आज इन सारे कारणों के चलते ज़्यादातर लोग अपने रिश्ते को सही ढंग से जी ही नहीं पाते है और हमेशा अपने आप से और सामनेवाले से कहीं-न-कहीं असंतुष्ट रहते है |

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